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Shani Chalisa (शनि चालीसा) - With Full Hindi Lyrics || शनि देव ||
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Sep 212024
ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय का देवता कहा जाता है. सूर्य देव के पुत्र शनि देव कर्मों के फलदाता माने जाते हैं. उनकी पूजा से जीवन की सारी बाधाएं और कष्ट दूर हो जाते हैं. शनि देव की पूजा से शुभ कर्मों का फल प्राप्त होता है और बुरे कर्मों के दुष्प्रभाव कम होते हैं. शनि देव की पूजा के लाभ (Shani Dev Puja Benefits) शनि देव की पूजा से उग्र और अशुभ ग्रह शांत होते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. शनि देव की पूजा से रोग,ऋण, संतानहीनता,नौकरी-व्यापार में बाधा जैसी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. सच्चे मन से की गई पूजा से शनि देव प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं. शनि देव की पूजा के नियम (Shani Dev Puja Niyam) शनि देव की पूजा का सबसे उत्तम दिन शनिवार माना जाता है. इस दिन पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है. शास्त्रों के अनुसार शनि देव की पूजा सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद करना शुभ फलदायी माना गया है. माना जाता है कि सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के समय शनि का प्रभाव तेज रहता है. इसलिए सूरज उगने से पहले और ढलने के बाद शनि देव की पूजा करना अच्छा माना जाता है. शनि देव इस समय की गई पूजा का पूरा फल दिलाते हैं. शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या विशेष रूप से पूजा के लिए शुभ मानी जाती है. शनिवार को पड़ने वाली पूर्णिमा भी शनि की पूजा के लिए उत्तम मानी जाती है. शनि जयंती भी शनि देव की पूजा के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. शनि देव की पूजा के दौरान कभी भी उनकी आंखों में सीधा नहीं देखना चाहिए. ध्यान रखें कि आप जब भी शनि की पूजा करें तो या तो आपकी आंखें बंद हों या फिर आप शनि देव की चरणों की तरफ ही देखें. माना जाता है कि शनि देव की आंखों में आंखें डालकर देखने से उनकी कुदृष्टि पड़ती है. शनि देव की पूजा करते समय आपका मुंह पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए. शनि देव की पूजा करते समय कभी भी लाल रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए. शनि का प्रिय रंग नीला और काला है और उनकी पूजा इसी रंग के वस्त्रों में करनी चाहिए. शनि देव की प्रतिमा की तरफ कभी भी पीठ नहीं दिखानी चाहिए. इससे शनि देव की नाराज झेलनी पड़ती है. शनिवार के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों का दीपक जलाने से शनि दोष से राहत मिलती है. #shanibhajan #hanumanchalisasuperfast #shanimantra Shani chalisa | शनि चालीसा | शनि देव चालीसा | हिंदी lyrics के साथ shani chalisa is a 40 verse devotional prayer to please the lord of justice shri shani dev. Shani chalisa lyrics in hindi | शनि चालीसा | jai ganesh girija suvan ॥दोहा॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ ॥चौपाई॥ जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥ परम विशाल मनोहर भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥ कुण्डल श्रवण चमाचम चमके। हिये माल मुक्तन मणि दमके॥ कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥ पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन। यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःख भंजन॥ सौरी, मन्द, शनि, दशनामा। भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥ जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं। रंकहुं राव करैं क्षण माहीं॥ पर्वतहू तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारत॥ राज मिलत वन रामहिं दीन्हो। कैकेइहुं की मति हरि लीन्हो॥ बनहूं में मृग कपट दिखाई। मातु जानकी गई चुराई॥ लखनहिं शक्ति विकल करिडारा। मचिगा दल में हाहाकारा॥ रावण की गति मति बौराई। रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥ दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग बीर की डंका॥ नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा। चित्र मयूर निगलि गै हारा॥ हार नौलाखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी॥ भारी दशा निकृष्ट दिखायो। तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥ विनय राग दीपक महँ कीन्हों। तब प्रसन्न प्रभु हवै सुख दीन्हों॥ हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी॥ तैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी-मीन कूद गई पानी॥ श्री शंकरहि गहयो जब जाई। पार्वती को सती कराई॥ तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥ पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उधारी॥ कौरव के भी गति मति मारयो। युद्ध महाभारत करि डारयो॥ रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। लेकर कूदि परयो पाताला॥ शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥ वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥ जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥ गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावै॥ गर्दभ हानि करै बहु काजा। गर्दभ सिंद्धकर राज समाजा॥ जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥ जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥ तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चाँजी अरु तामा॥ लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥ समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्वसुख मंगल कारी॥ जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥ अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥ जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥ पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत॥ कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥ ॥दोहा॥ पाठ शनिश्चर देव को, की हों भक्त तैयार। करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

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KanaK भक्ति सागर

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